होम |
दुनिया | विश्व फुटबाल की आड़ में कट्टरपंथ को बढ़ावा क्यों
विश्व फुटबाल की आड़ में कट्टरपंथ को बढ़ावा क्यों
कहते हैं खेल का धर्म है पूरी दुनिया को एक करना और मुकाबले के बीच खेल भावना का प्रसार करना। अरब मुल्क के छोटे मगर बेहद अमीर देश से देश कतर में इस बार का फीफा फुटबाल वर्ल्ड कप खेला जा रहा है। अब तक के सबसे महंगे आयोजनों में से एक इस वर्ल्ड कप के लिए कतर ने इतनी दौलत झोंकी है कि कई देशों की पूरी जीडीपी को पीछे छोड़ दिया। लेकिन इसी के साथ कतर सरकार के कई फैसलों ने फुटबाल जैसे खेल को विवादित बना दिया। इसके बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या कतर फुटबाल की आड़ में मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा देने की तरकीब पर काम कर रहा है।
जैसे कि आप जानते हैं कि इस बार का फीफा वर्ल्ड कप कतर में हो रहा है, जिसमें दुनिया की 32 टीमें हिस्सा ले रही हैं। भारत इसमें शामिल नहीं है। अर्जेंटीना के कप्तान लियोनल मेसी और पुर्तगाल के कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो का ये आखिरी वर्ल्ड कप है, इसलिए फुटबाल प्रेमियों के सिर पर जुनून चढ़ा हुआ है। जहां मौजूदा विश्व चैंपियन फ्रांस अपने खिताब की रक्षा करने के लिए दम लगाएगी, तो ब्राजील, अर्जेंटीना, जर्मनी, इंग्लैंड, स्पेन, बेल्जियम, नीदरलैंड, डेनमार्क, पुर्तगाल, गत उपविजेता क्रोएशिया की टीमें प्रमुख विश्व कप ट्रॉफी उठाने की दावेदार हैं। एशिया की 5 टीमें कतर, सउदी अरब, ईरान, जापान और दक्षिण कोरिया की टीमें भी दावेदारी पेश कर रही हैं। मेजबान कतर अपना उद्घाटक मैच में इक्वाडोर से हारकर 92 साल के विश्व कप इतिहास का सबसे खराब रिकॉर्ड अपने नाम कर चुका है।
FIFA इस बार टूर्नामेंट में साढ़े तीन हजार करोड़ से भी ज़्यादा इनामी राशि बांटेगा. इसमें फाइनल जीतने वाली चैंपियन टीम को 359 करोड़ रुपए मिलेंगे. ये इनामी राशि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की टोटल प्राइज मनी साढ़े छियालिस करोड़ से साढ़े सात गुना ज़्यादा है। फीफा वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने वाली हर टीम को 72 करोड़ रुपये मिलेंगे.
कतर ने इस आयोजन के लिए पानी की तरह पैसा बहाया है। लेकिन इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के हिसाब से कतर के कुछ फैसलों की पूरी दुनिया में बुराई हो रही है। वैसे भी कतर पर विदेशी कामगारों के साथ बुरा व्यवहार करने का आरोप लगता रहा है।
कतर पर एक और आरोप लगा इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का। आपने हिन्दू धर्म की आलोचना करने वाला कथित इस्लामी स्कॉलर जाकिर नायर के बारे में ज़रूर सुना होगा। धर्म का लबादा ओढ़कर अपने जहरीले भाषणों से माहौल बिगाड़ने के लिए मशहूर विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नायक कई सालों से भारत से बाहर रहकर हिन्दू धर्म को नुकसान पहुंचा रहा है।
1991 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन बनाकर हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने वाले जाकिर नायक पर मोदी सरकार ने शिकंजा कसा था। तब 2017 में जाकिर नाइक भागकर मलेशिया पहुंच गया था। इसके भड़काऊ भाषणों के बाद इसे मलेशिया से भी निकाला गया। इस समय भारत, मलेशिया, यूके, कनाडा सहित पांच देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। कभी हकलाकर बात करने वाले जाकिर नायक को महाराष्ट्र में डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान ही मुसलिम धर्मगुरु बनने की धुन सवार हुई और तब के कांग्रेसी नेता शरद पवार और पूर्व सीएम अब्दुल रहमान अतुले ने इसको बढ़ावा दिया। जाकिर नायर अगर केवल कुरान और इस्लाम का प्रचार करता तो किसी को दिक्कत नहीं थी, लेकिन वो दूसरे धर्मों का मज़ाक उड़ाता है।
2016 में जाकिर के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन भारत में गैरकानूनी घोषित कर दिया था. इसी साल 2022 के मार्च में, MHA ने जाकिर नाइक की संस्था IRF को एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया और इसे पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।
इसी जाकिर नायक को कतर ने वर्ल्ड कप फुटबाल के दौरान धार्मिक संदेश देने के लिए मेहमान के तौर पर बुलाया है।
गल्फ से जुड़े तमाम अलग अलग अख़बारों और वेबसाइट्स पर नजर डालें तो उनमें बताया यही जा रहा है कि, फीफा वर्ल्ड कप 2022 में जाकिर हिंदू, ईसाई और अपने को नास्तिक कहने वाले लोगों से 'संवाद' करेगा। उनके प्रश्नों के जवाब देगा और यदि लोग वो लोग जाकिर नाइक की बातों और उसके तर्कों से संतुष्ट हुए तो ही उन्हें इस्लाम में आने की दावत दी जाएगी।
अब जबकि क़तर ने जाकिर खान को फीफा के लिए आमंत्रित कर ही लिया है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये सब करते हुए क़तर दुनिया को क्या दिखाना चाह रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी इस वाहियात हरकत से क़तर दुनिया के सामने ये सन्देश देने की फ़िराक में हो कि 'मॉडर्न' होते हुए भी 'धार्मिक' हुआ जा सकता है? कतर ने मैच के दौरान बीयर पीने और घुटने से ऊपर तक के कपड़े पहनने पर भी रोक लगा दी थी।
जो भी हो ज़ाकिर नाइक का शुमार दुनिया के उन विवादित लोगों में है जिनकी बातों ने लोगों का कुछ इस हद तक ब्रेन वाश किया कि तमाम लोगों ने मानवता और भाईचारे का मार्ग छोड़कर आतंकवाद या ये कहें कि इस्लामी जिहाद को तरजीह दी. भारत और कतर की दोस्ती पिछले पचास साल से बनी हुई है। इस वर्ल्ड कप के आगाज के तौर पर होने वाले रंगारंग कार्यक्रम के लिए भी कतर के सुल्तान ने भारत को आमंत्रित किया था। भारत की तरफ से उप-राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के साथ एक डेलीगेशन इसमें शामिल हुआ। पीएम नरेन्द्र मोदी ने अक्टूबर में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी से बात की थी जिसमें उन्होंने फीफा वर्ल्ड कप के सफल आयोजन की बधाई दी थी। पीएम मोदी वर्ष 2016 और 2019 में कतर का दौरा कर चुके हैं।
ऐसे में कतर जैसे देश ने जाकिर नायक को तवज्जो देकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। इसके बाद ये सवाल खड़ा हो गया है कि कतर का लांग टाइम एजेंडा क्या है। ऐसे में मोदी सरकार को भी कतर के एजेंडे को लेकर अलर्ट रहना चाहिए।
--