बुधवार, 22 मार्च 2023 | 09:25 IST
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यहां जानें क्यों छोटी दिवाली को कहते हैं नरक चतुर्दशी, इसके पीछे की कहानी क्या है ?


जब भी त्योहार के सीजन की शुरुआत होती है, तो हर तरफ का माहौल बदला-बदला नजर आता है। जैसे कि इन दिनों नजर आ रहा है, क्योंकि धनतरेस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली जैसे कई अन्य त्योहार बेहद पास हैं। धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली होती है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में दीये जलाते हैं और खुशियां मनाते हैं। साथ ही कहा जाता है कि इस दिन से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। लेकिन इस दिन को हम नरक चतुर्दशी के नाम से जानते हैं। इस दिन की कई मान्यताएं भी हैं, जिन्हें पूरा करना काफी शुभ माना जाता है। 
नरक चतुर्दशी को मुक्ति पाने वाला पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इस चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा। इस दिन सूर्योदय से पहले उठने और स्थान करने का महत्त्व है। इससे मनुष्य को यम लोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है।
विष्णु और श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार नरकासुर नामक असुर ने अपनी शक्ति से देवी-देवताओं और मानवों को परेशान कर रखा था। असुर ने संतों के साथ 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता और ऋषि-मुनियों ने भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आकर कहा कि इस नरकासुर का अंत कर पृथ्वी से पाप का भार कम करें।
भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नरकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया लेकिन नरकासुर को एक स्त्री के हाथों मरने का शाप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया। जिस दिन नरकासुर का अंत हुआ, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी।
नरकासुर के वध के बाद श्रीकृष्ण ने कन्याओं को बंधन से मुक्त करवाया। मुक्ति के बाद कन्याओं ने भगवान कृष्ण से गुहार लगाई कि समाज अब उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा, इसके लिए आप कोई उपाय निकालें। हमारा सम्मान वापस दिलवाएं। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से 16 हजार कन्याओं से विवाह कर लिया। 16 हजार कन्याओं को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में घर-घर दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
भगवान कृष्‍ण ने इस दिन 16 हजार कन्‍याओं का उद्धार किया, इसी खुशी में इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और 16 ऋृंगार करने से रूप सौन्दर्य और सौभाग्य बढ़ता है ऐसी मान्यताएं कहती हैं।

 



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