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देश | राजस्थान में नई पार्टी बनाने से सचिन पायलट को कितना फायदा ?
राजस्थान में नई पार्टी बनाने से सचिन पायलट को कितना फायदा ?
राजस्थान में कांग्रेस के सीएम अशोक गहलोत के विरोध में उतरे सचिन पायलट अब आरपार के मूड में आ चुके हैं। भले ही कांग्रेस के बड़े नेताओं ने दोनों को आपस में बैठाकर समझौता करा दिया हो, लेकिन सचिन पायलट सीएम की दावेदारी से कम पर राजी नहीं हैं। लेकिन मुश्किल ये है कि अगर सचिन कांग्रेस में रहकर अशोक गहलोत को हरवाते हैं तो फिर बीजेपी की सरकार बन जाएगी और अगर संघर्ष करके कांग्रेस को सीटें दिलवातें हैं तो फिर गहलोत सीएम बन जाएंगे। ऐसे में सचिन पायलट ने एक ऐसा धांसू प्लान तैयार किया है, जिससे कांग्रेस हारे या बीजेपी, सचिन पायलट का सीएम बनने का सपना जरूर पूरा होगा। सचिन पायलट के एक करीबी ने ही बातों बातों में ये प्लान लीक कर दिया।
राजस्थान में 11 जून का दिन सचिन पायलट के लिए बहुत मायने रखता है।
खबर है कि 11 जून को सचिन पायलट की ओर से कोई न कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है, क्योंकि 11 जून को सचिन पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। ऐसे पायलट समर्थकों को 11 जून का इंतजार है। अगर सचिन पायलट नए राजनीतिक दल का गठन करके चुनावी मैदान में उतरते हैं तो न केवल कांग्रेस बल्कि कांग्रेस के साथ बीजेपी को भी नुकसान होना तय है। राजस्थान विधानसभा की करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां पायलट का अच्छा प्रभाव देखा जा रहा है। इन सीटों पर
पायलट के कारण, कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजस्थान के सवाई माधोपुर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, करौली, दौसा, कोटा, टोक, बूंदी, झालावाड, चितौड़गढ़, अलवर, भरतपुर और झुंझुनूं जिलों में करीब 40 सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर मतदाता काफी संख्या में हैं। इस सीटों पर गुर्जर समाज बड़ी ताकत रखता है और प्रत्याशियों को जिताने हराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। सचिन पायलट गुर्जर समाज से है और समाज में उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में मानता है। अगर सचिन पायलट नई पार्टी की घोषणा करते हैं तो गुर्जर समाज जरूर उनका पूरा साथ देगा।
इसी साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी गुर्जर मतदाताओं को साधने के लिए राजस्थान दौरे पर आए थे। गुर्जर समाज के आराध्य देव देवनारायणजी की जयंती पर भीलवाड़ा के मालासेरी में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल हुए थे। इस दौरान पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 'आज कोई प्रधानमंत्री नहीं आया है, बल्कि आप ही की तरह पूरे भक्तिभाव से मैं भी एक सामान्य यात्रि की भांति यहां भगवान देवनारायण और जनता जनार्दन के दर्शन करने आया हूं।' पीएम मोदी की इस सभा में करीब एक लाख से ज्यादा लोग एकत्रित हुए थे।
ऐसा नहीं है कि सचिन पायलट के अलग पार्टी बनाने से केवल गुर्जर बाहुल्य सीटें प्रभावित होंगी। पायलट के साथ 20 से ज्यादा ऐसे नेता जुड़े हुए हैं जो अलग अलग समाजों से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गुर्जर बाहुल्य 40 सीटों के अलावा 15 अन्य विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस और बीजेपी को नुकसान हो सकता है। तो अब तय है कि कांग्रेस, पायलट को सीएम उम्मीदवार घोषित न करके गहलोत के नाम पर ही चुनाव लड़ेगी और पायलट की भूमिका केवल गहलोत के लिए सीटें जुटाने की होगी। तो पायलट इतने कमअक्ल तो हैं नहीं. इसलिए सूत्रों का दावा है कि सचिन पायलट अपनी नई पार्टी का ऐलान करने जा रहे हैं।
तो कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने से पायलट सीएम कैसे बन जाएंगे , ज़्यादा से ज़्यादा कुल 200 में से 40 सीटें ले आएंगे और इससे तो उनकी सरकार नहीं बनती। तो पायलट का गेम है, किसी भी तरह विधानसभा को त्रिशंकु स्थिति में लाना, ताकि उनके संख्या बल के बिना नई सरकार न बन पाए। पायलट के पार्टी अगर 25 सीटें भी निकाल लेती है और किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो वो पायलट से समर्थन मांगेगा। ऐसी स्थिति में पायलट, सीएम बनकर कांग्रेस की सरकार बनवा सकते हैं। इसी तरह बीजेपी के साथ भी मोलभाव करते हुए सीएम पद के साथ उनकी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। चूंकि मोदी खेमा भी वसुंधरा राजे को किनारा लगाने की राह तलाश रहा है, इसलिए चुनाव बाद ऐसी स्थिति में मोदी-शाह को पायलट को लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी। आखिर इससे लोकसभा चुनाव में बीजेपी का फायदा ही होगा। तो सचिन पायलट इसी रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं।