होम |
देश | सचिन पायलट को फिर मिला धोखा, राजस्थान में गहलोत ही सीएम चेहरा
सचिन पायलट को फिर मिला धोखा, राजस्थान में गहलोत ही सीएम चेहरा
राजस्थान में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और सीएम अशोक गहलोत एक बार फिर कांग्रेस का सीएम चेहरा हो सकते हैं।
यह बात इसलिए तय मानी जा रही है क्योंकि 17 मार्च 2023 को कांग्रेस के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें कहा गया है 'नई चुनौतियों के लिए तैयार, 2023-28 राजस्थान में गहलोत फिर से'। यह वीडियो जारी होने के बाद तय माना जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत कांग्रेसआलाकमान को मनाने में कामयाब रहे हैं। सवाल उठता है कि अब गहलोत के धुर विरोधी सचिन पायलट क्या करेंगे। क्या सचिन पायलट कांग्रेस को अलविदा कहेंगे या फिर पार्टी में रहते हुए ही संघर्ष करेंगे।
अशोक गहलोत के खिलाफ एक बार बगावत कर चुके सचिन पायलट पिछले तीन साल से राज्य में पार्टी का चेहरा बनने की कोशिश में हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सचिन पायलट ने भरसक कोशिश की कि राहुल गांधी उनके नेतृत्व की घोषणा कर दें, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अशोक गहलोत ने राजस्थान के सीएम पोस्ट को नाक की लड़ाई बनाकर कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद भी सचिन पायलट ने धैर्य नहीं खोया और आलाकमान पर भरोसा करके इंतजार करते दिखे। अब जब अशोक गहलोत को ही चेहरा बनाने की बात तय हो गई है तो पायलट के सब्र का बांध टूट सकता है।
पूरे प्रकरण पर नजर डालें तो एक बात स्पष्ट है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यह समझाने में सफल रहे हैं कि वह पायलट के मुकाबले ज्यादा वफादार हैं। पायलट का बगावत करना उनके लिए ड्राबैक साबित हो रहा है। उधर इस फैसले से सचिन पायलट नाराज बताए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने उन्हें सीएम पद का चेहरा बनाने का खुला ऑफर दे दिया है। सचिन पायलट अगर केजरीवाल के साथ आते हैं तो कांग्रेस की हार तय है और अगर वे कांग्रेस में ही रहते हैं और गहलोत जिता ले जाते हैं तो फिर जाहिर है वही सीएम बनेंगे। तब भी सचिन पालयट के हाथ में कुछ नहीं आएगा। सूत्रों का कहना है कि अगर बीजेपी आलाकमान उन्हें सीएम पद या केन्द्र में मंत्री पद का ऑफर देगा तो हो सकता है कि इस बार सचिन पालयट बीजेपी की नैया पर सवार हो जाएं।
फिलहाल जो हालात दिख रहे हैं उसमें यही लगता है कि पायलट के सामने गहलोत के खिलाफ खुलकर आने के बजाय कांग्रेस में ही रहकर अपनी बारी का इंतजार करने के बजाय दूसरा विकल्प नहीं दिखता है। उन्हें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन का इंतजार करना होगा। पहले सचिन पायलट के समर्थन में 30 विधायक बताए जा रहे थे, लेकिन पिछले डेढ़ साल में सिर्फ 19 बचे हैं। ऐसे में पायलट को आर पार करना ही होगा। ये भी हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए टिकट बांटने का अधिकार अपने पास रखें, ताकि अपने समर्थको ही ज़्यादा टिकट दिला सकें। बहरहाल सचिन पायलट की सियासत अधर में फंस गई है।