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देश | पंचतत्व में विलीन हुईं मोदी की मां, मुखाग्नि देने के बाद फौरन काम में जुटे पीएम
पंचतत्व में विलीन हुईं मोदी की मां, मुखाग्नि देने के बाद फौरन काम में जुटे पीएम
पीएम मोदी की मां हीराबेन का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। सूचना मिलने के बाद मोदी आनन-फानन में दिल्ली से गांधीनगर पहुंचे। अंतिम सफर के दौरान वे मां की पार्थिव देह कंधे पर लेकर गांधी नगर स्थित घर से निकले। यात्रा के दौरान वे शव वाहन में ही पार्थिव देह के करीब बैठे रहे। इस दौरान उनकी बेहद आंखें नम रहीं। मोक्षधाम में मोदी ने मां को मुखाग्नि दी।
मोदी जी की मां हीराबेन मंगलवार से ही बीमार थी। आज तड़के साढ़े तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सूचना मिलते ही पीएम मोदी गांधीनगर के लिए रवाना हो गए। सुबह पौने आठ बजे वे एयरपोर्ट से सीधे गांधीनगर के रायसण स्थित भाई पंकज मोदी के निवास पर पहुंचे, जहां मां की पार्थिव देह रखी गई थी। मोदी के पहुंचते ही अंतिम यात्रा शुरू हुई। मोदी कंधे पर पार्थिव देह लेकर शव वाहन तक गए। पीएम भी शव वाहन में ही बैठे हैं। अंतिम यात्रा गांधीनगर में सेक्टर-30 स्थित मुक्ति धाम श्मशान तक पहुंची। इस दौरान बेहद सादगी का माहौल रहा। मोदी जी की माता के निधन से केवल बीजेपी परिवार ही नहीं बल्कि पूरा देश दुखी है। बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की है।
मोदी अपनी माता से दिल की गहराइयों से जुड़े हुए थे। बेटा कितना भी बड़ा हो जाए, किसी भी पद पर पहुंच जाए तो एक मां के लिए बेटा हमेशा पहले जैसा ही रहता है।
इतने व्यस्त राजनीतिक जीवन में भी मोदी हर खास मौके पर मां से मिलने पहुंच जाया करते थे। मोदी जब भी अपनी मां से मिलते थे, उनको पूरा दुलार मिलता था।
2014 में मोदी के पीएम बनने से लेकर हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव में वोट डालने तक पीएम मोदी लगातार मां से मिलते रहे। मंगलवार को जब उनकी मां हीराबेन को कफ के कारण सांस लेने में दिक्कत हुई तो उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था। पीएम मोदी मां को देखने फौरन अस्पताल पहुंचे थे और डेढ़ घंटे तक उनका हालचाल लेने के बाद दिल्ली लौटे थे। इस बीच खबरें आईं कि मां का स्वास्थ्य स्थिर है और उम्मीद थी कि वे ठीक हो जाएंगी, लेकिन शुक्रवार सुबह ये दुखद खबर आ गई। पीएम मोदी ने ट्वीट कर अपनी मां के निधन की जानकारी दी। शुक्रवार की सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर उन्होंने लिखा- शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम। मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।
पीएम मोदी अपनी मां बहुत लगाव रखते थे। अपने जीवन के हर खास मौके पर वे मां का आशीर्वाद लेने जरूर पहुंचते थे। 18 जून 1923 में जन्म लेने वाली हीराबा ने इसी साल अपना 99वां जन्मदिन मनाया था। प्रधानमंत्री मोदी उस समय उनसे मिलने आए थे। उस दौरान PM ने हीराबा के पैर धोकर पानी अपनी आंखों से लगाया था। हीराबा जीवन के 100वें साल में थीं, लेकिन इससे उनकी जिजीविषा और उमंग में कोई कमी नहीं थी। बात हर घर तिरंगा लहराने की हो या कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान देने की... वे देश के हर अभियान में हिस्सा लेती रहीं। जब चुनाव हुए, तो बूथ पर जाकर वोट उन्होंने वोट डाला और नोटबंदी के दौरान खुद बैंक जाकर पुराने नोट बदलवाए।
मोदी गुजरात चुनाव के मतदान के दौरान 4 दिसंबर को भी गांधीनगर में अपनी मां से मिले थे। इस दौरान उन्होंने मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था और उनके साथ बैठकर चाय पी थी। मोदी इस साल 11 और 12 मार्च को दो दिनों के गुजरात दौरे पर थे। तब 11 मार्च को रात नौ बजे मां हीराबा से मिलने गांधीनगर पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी ने उनके साथ खिचड़ी खाई थी। इससे पहले 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद पीएम बनने से पहले मोदी अपनी मां का आशीर्वाद लेकर ही दिल्ली के लिए निकले थे। फिर 22 मई 2014 को पीएम पद की शपथ लेने के बाद भी वे मां का आशीर्वाद लेने गए थे। तब पूरे देश ने मोदी जी का अपनी मां के लिए समर्पण देखा था। 17 सितंबर 2014 को पीएम बनने के बाद जब मोदी का जन्मदिन आया तब भी वे मां से मिलने पहुंचे। तब मां हीराबेन ने उन्हें 5001 रुपये भेंट के तौर पर दिए थे। 15 मई 2016 को उनकी मां पहली बार दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर कुछ दिन रहने आई थी। मोदी ने व्हीलचेयर पर बैठाकर अपने गार्डन में घुमाया था। तब भी ये तस्वीरें पूरे देश ने देखी थी। मोदी का अपनी मां के लिए समर्पण एक मिसाल के तौर पर देखा जा सकता है। मां ने अपने बेटे का सेवक के तौर पर देश को समर्पित किया। आज मां पंचतत्व में विलीन हो चुकी हैं तब भी उनकी यादें प्रेरणा देती रहेंगी। मां ने मोदी को जो कर्मयोग का संदेश दिया, उसी का असर था कि मोदी ने देश के लिए अपन जिम्मेदारियों में कटौती नहीं की और फौरन काम पर जुट गए।