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धर्म-अध्यात्म | भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन प्रवास पर निकलने से पहले कैसे होती हैं तैयारियां?
भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन प्रवास पर निकलने से पहले कैसे होती हैं तैयारियां?
देवभूमि में विराजमान पंच केदारों में पूजित भगवान मदमहेश्वर धाम में चहलपहल तेज हो गई है। बर्फबारी और ठंड बढ़ने के बाद अब कपाट बन्द करने की तैयारियां हो रही हैं... अब भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ऊखीमठ के लिए रवाना होगी...ऊखीमठ ही मदमहेश्वर का शीतकालीन प्रवास बनेगा...
कपाट बन्द करने की तैयारियां के लिए मन्दिर समिति के पदाधिकारी जुटे हुए हैं। इसी के साथ ऊखीमठ मंदिर में भी तैयारियां चल रही हैं, जहां भगवान विराजित होंगे। बता दे कि पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा की जाती है!
मदमहेश्वर धाम रासी गाँव से 16 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान है! द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर धाम के कपाट आगामी 18 नवम्बर को शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए विधि - विधान से बन्द कर दिये जाएंगे और कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देती हुए 21 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में विराजमान होगी!
भगवान के यात्रा पड़ाव में कई जगह यात्रा विश्राम भी करेगी.. इस दौरान स्थानीय लोगो को आशीष प्राप्त होगा..जब भगवान की डोली ऊखीमठ पहुंचेगी तो वहां तीन दिन का मेला भी लगेगा, उसमें भी श्रद्धालु दूर दूर से पहुंचते हैं। प्रबन्ध समिति उसकी तैयारियों में भी जुट गई है।