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मनोरंजन | 'ज्विगाटो' मूवी ने टिकट खिड़की पर दम तोड़ा
'ज्विगाटो' मूवी ने टिकट खिड़की पर दम तोड़ा
मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म 'ज्विगाटो' ने टिकट खिड़की पर पानी भी नहीं मांगा। ओवरसीज का मार्केट मिलाकर ये फिल्म अब तक केवल ढाई करोड़ रुपये ही कमा पाई है, जबकि कपिल शर्मा एक महीने का ही पांच करोड़ से ज़्यादा टीवी से कमा लेते हैं। सोनी टीवी पर उनका शो कॉमेडी विथ कपिल शर्मा हर हफ्ते दो बार आता है और कपिल इसके लिए एक करोड़ से ज़्यादा चार्ज करते हैं। 2021 में कपिल शर्मा ने 15 करोड़ का इनकम टैक्स भरा था। लेकिन मशहूर डायरेक्टर नंदिता दास ने उनको लेकर जो फिल्म बनाई है 'ज्विगाटो' , वो कपिल की एक महीने की कमाई के बराबर भी पैसा नहीं निकाल पाई।
ज्वैगेटी की कहानी कुछ यूं है। कोरोना महामारी के दौरान पूरे विश्व में ऐसी आर्थिक मंडी छाई कि बहुत सारे लोगों की नौकरियां चली गई। जीवन यापन के लिए जिसको जो काम मिला वह काम कर लिया। मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले
कई लोग डिलीवरी बॉय बन गए। इसी विषय पर नंदिता दास ने कपिल शर्मा को लेकर फिल्म ‘ज्विगाटो’ बनाई है। कंपनी का एक मैनेजर हैं नौकरी जाने पर डिलीवरी बॉय का काम करने लगता हैं। पत्नी प्रतिमा चाहती है कि वह भी कुछ काम कर ले। दोनों के दो बच्चे हैं, स्कूल में पढ़ते हैं। घर पर बूढ़ी मां भी है। अब एक तरफ नौकरी का संघर्ष है। दूसरी तरफ परिवार की जिम्मेदारियों हैं और इन दो पाटों के बीच पिसती सी चलती है फिल्म ‘ज्विगाटो’ की कहानी। इसके साथ ही डिलीवरी ब्वाय को मिडिल क्लास किस गलत तरीके से ट्रीट करता है, इस पर रौशनी डाली गई है। लेकिन नंदिता का टारगेट ऑडिएंट मिडिल क्लास तो फिल्म से दूर ही रहा। ऐसे में कह सकते हैं ट्रीटमेंट को थोड़ा नॉर्मल रखना चाहिए था।
नंदिता दास नामी डायरेक्टर है लेकिन वे लोअर मिडिल क्लास परिवार की सोच को पर्दे पर सटीक तरीके से रख पाने में कामयाब नहीं हो सकीं। फिल्म सबसे पहले तो कहानी के तौर पर मात खाती है। फिर फिल्म की पटकथा में गहराई नहीं नजर आती। नंदिता को राजेश खन्ना की बावर्ची, इरफान खान की लंचबॉक्स और हिन्दी मीडियम ज़रूर देखनी चाहिए थी, कैसे मिडिल क्लास के फ्रंस्टेशन के बीच हल्के फुल्के सीन दर्शकों को बांधे रखते हैं। । लेकिन ज्वैगैटो के पहले सीन से लेकर आखिरी सीन तक ऐसी कोई बात नजर नहीं आई, जो दर्शकों को अपील कर सके।
कपिल शर्मा की ये फिल्म 'ज्विगाटो' 17 मार्च 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई हैं। वहीं इसी दिन बॉलीवुड की दमदार एक्ट्रेस रानी मुखर्जी की फिल्म 'मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे' और हॉलीवुड फिल्म 'शाजम! फ्यूरी ऑफ द गॉड्स' भी सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। ऐसे में लोगों ने कपिल शर्मा की सीरियस फिल्म छोड़ बाकी फिल्मों की तरफ रुख किया है। वैसे कपिल शर्मा इतने खराब एक्टर भी नहीं है, उनकी टाइमिंग तो कमाल की है, लेकिन फिल्म में उनका ओवर सीरियस लुक, निकला हुआ पेट लोगों को डिलीवरी ब्वॉय के किरदार से जोड़ ही नहीं पाया । वैसे ओटीटी और बाकी राइट्स बेचकर भी फिल्म अपनी लागत नहीं निकाल पाएगी, ये तो तय है। ऐसे में कपिल शर्मा के भविष्य में मूवी एक्टर बनने की रही सही उम्मीदें भी धराशाही हो गईं।
नंदिता दास ने एक और गलती की। इस फिल्म को केवल 409 स्क्रीन्स पर ही रिलीज किया गया। इससे अच्छा तो फिल्म ओटीटी पर ही रहती और कपिल की इज्जत बची रहती। कहते हैं ना कि बंद मुट्टी लाख की, खुल गई तो खाक की- अब लोग ओटीटी पर भी देखने से बचें। ऐसे में कपिल पर फ्लॉप मूवी एक्टर का ठप्पा और गहरा हो गया। भविष्य में कोई प्रोड्यूसर उनकी पिछली फिल्मों की हालत देखकर रिस्क लेने से डरेगा। ऐसे में नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली बात हो गई, लेकिन अगर आप आर्टिस्टिक फिल्मों को पसंद करते हैं तो जाकर देखें या ओटोटी पर आने का इंतजार कर सकते हैं।