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धर्म-अध्यात्म | संतान प्राप्ति के लिए महादेव के दर पहुंचे 145 दंपती, रातभर खड़े होकर पूजा
संतान प्राप्ति के लिए महादेव के दर पहुंचे 145 दंपती, रातभर खड़े होकर पूजा
बैकुंठ चतुर्दशी (कार्तिक चतुर्दशी) पर संतान प्राप्ति के लिए कमलेश्वर महादेव मंदिर में 145 दंपती खड़ा दीया अनुष्ठान में शामिल हुए। रविवार को गोधूलि बेला से अनुष्ठान शुरू हुआ। अनुष्ठान के लिए 206 दंपतियों ने पंजीकरण कराया था। पिछले साल 147 दंपती ने अनुष्ठान में भाग लिया था।
रविवार शाम गोधुलि वेला (सुबह 5:15 बजे) में श्रीनगर गढ़वाल के कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने दीपक जलाकर खड़ा दीया अनुष्ठान की शुरूआत की थी। महिलाओं के कमर में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा एवं चावल की पोटली बांधी गई। तत्पश्चात महंत ने सभी दंपतियों के हाथ में दीपक रखते हुए पूजा अर्चना की।
दंपती पूरी रात जलता दीया हाथ में लेकर भगवान शिव (कमलेश्वर) की पूजा की। सोमवार सुबह स्नान के बाद महंत ने दंपतियों को आशीर्वाद देकर पूजा संपन्न कराई। ऐसी मान्यता है कि खड़ा दीया अनुष्ठान करने से दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है।
अनुष्ठान में शामिल होने के लिए शिकागो में रह रहे प्रवासी दंपती आए हैं। इसके अलावा उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, हैदराबाद, महाराष्ट्र सहित अन्य स्थानों से दंपती पहुंचे हैं।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवता दानवों से पराजित हो गए। तब वह भगवान विष्णु की शरण में गए। दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु यहां भगवान शिव की तपस्या करने आए। पूजा के दौरान वह शिव सहस्रनाम के अनुसार शिवजी के नाम का उच्चारण कर सहस्र (एक हजार) कमलों को एक-एक करके शिवलिंग पर चढ़ाने लगे।
विष्णु की परीक्षा लेने के लिए शिव ने एक कमल पुष्प छिपा लिया। एक कमल पुष्प कम होने से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े, इसके लिए भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर अर्पित करने का संकल्प लिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र दिया। जिससे उन्हाेंने राक्षसों का विनाश किया।
सहस्र कमल चढ़ाने की वजह से इस मंदिर को कमलेश्वर महादेव मंदिर कहा जाने लगा। इस पूजा को एक निसंतान ऋषि दंपती देख रहे थे। मां पर्वती के अनुरोध पर शिव ने उन्हे संतान प्राप्ति का वर दिया। तब से यहां कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (बैकुंठ चतुर्दशी) की रात संतान की मनोकामना लेकर लोग पहुंचते हैं।