मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023 | 01:59 IST
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INS मोरमुगाओ'- ‘ड्रैगन’ पर क़हर बनकर टूटेगा समंदर का नया ‘महारथी’


चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव चल रहा है। ऐसे मौके पर मोदी सरकार ने अपने ब्रह्मास्त्र को तैनात कर दिया है। कुछ ही दिन पहले हिन्द महासागर में उतारे गए  आइएनएस मोर्मुगाओ को अब नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है। हर भारतवासी को देश की इस उपलब्धि पर इसलिए गर्व होगा, क्योंकि ये आत्मनिर्भर भारत की शान भी है। आइये आपको इसकी खूबियां बता देते हैं।

आईएनएस मोरमुगाओ ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी मिसाइलों से लैस है। इसमें इस्राइल का रडार एमएफ-स्टार लगा है, जो हवा में लंबी दूरी के लक्ष्य का पता लगा सकता है। 127 मिलीमीटर गन से लैस आईएनएस मोरमुगाओ 300 किलोमीटर दूर से लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इस पर एके-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम लगा है। साथ ही यह एंटी सबमरीन रॉकेट लांचर से भी लैस है।

आइएनएस विक्रांत और आईएएनस विक्रमादित्य के बाद नेवी  के इस नए महायौद्धा का नाम गोवा के समंदर किनारे स्थित शहर मोर्मूगाओ के नाम पर रखा गया है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुये थे। इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है। इसकी पूरी डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है और निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है। इसमें लगभग 75 फीसदी हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है, इसलिए इसे आत्मनिर्भर भारत का गौरव भी कहा जा रहा है।

यह जहाज 'मोरमुगाओ' पी15 ब्रेवर क्लास का दूसरा जहाज है। यह जहाज सभी हथियारों और सेंसर के साथ पूरी तरह से तैयार है और किसी भी तरह की ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट के लिए तैयार है। अत्याधुनिक हथियारों और सेंसरों सुसज्जित है, जो लगभग हर युद्ध, एंटी-एयर और एंटी-सबमरीन में युद्ध के अंतिम स्पेक्ट्रम में लड़ने की ताकत रखता है। इस युद्धपोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है। पोत 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है। पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है। इसमें रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों के दौरान लड़ने में सक्षम है।  तो अब चीन और पाकिस्तान की हेकड़ी निकालने के लिए भारतीय नौसेना पूरी तरह से तैयार है।



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