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धर्म-अध्यात्म | उत्पन्ना एकादशी कब है? हिन्दू धर्म में एकादशी का इतना महत्व क्यों है ?
उत्पन्ना एकादशी कब है? हिन्दू धर्म में एकादशी का इतना महत्व क्यों है ?
हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी डेट, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट-
मार्गशीष मास कृष्ण पक्ष एकादशी
- मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्तपन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर, रविवार को है।
मुहूर्त-
- एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 19, 2022 को 10:29 ए एम बजे
- एकादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 20, 2022 को 10:41 ए एम बजे
- पारण (व्रत तोड़ने का) समय - नवंबर 21, 06:40 ए एम से 08:47 ए एम
एकादशी व्रत पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
- भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।