मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024 | 06:34 IST
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'मिग-21 विमानों के उड़ान भरने पर रोक क्यों लगी?


मिग 21 फाइटर प्लेन पर रोक कर क्या देश की सुरक्षा के साथ खतरा तो मोल नहीं लिया गया ? नये एयर क्राफ्ट खरीदे बिना मिग पर रोक लगाने से क्या हम चीन और पाकिस्तान से शक्ति संतुलन में पीछे तो नहीं हो गए? ये सवाल इसलिए क्योंकि रक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार मिग -21 बेड़े की जांच पूरी होने और दुर्घटना के कारणों का पता लगाने तक इनके उड़ान भरने पर रोक दिया गया है। मिग -21 विमान वेरिएंट पांच दशकों में भारतीय वायु सेना में शामिल हैं. लगातार हादसों की वजह से इसको उड़ता ताबूत भी कहा जाने लगा था. दरसल  सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरने वाला मिग-21 बाइसन विमान आठ मई को राजस्थान के हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद रक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा, "मिग -21 बेड़े की जांच पूरी होने और दुर्घटना के कारणों का पता लगाने तक इनके उड़ान भरने पर रोक दिया गया है। मिग -21 विमान वेरिएंट पांच दशकों में भारतीय वायु सेना में शामिल हैं और इन्हें चरणबद्ध तरीके से वायुसेना के बेड़े से बाहर किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।" एक स्क्वैड्रेन में 18 विमान होते हैं. चीन और पाकिस्तान से मुकाबले के लिए भारत को 42 स्क्वैड्रेन हमेशा तैयार रखने होते हैं, लेकिन मिग 21 को हटाने और कई विमान के क्रैश होने के कारण हमारी वायु सेना केवल 32 स्क्वैड्रेन पर निर्भर कर रही है. ये एक तरह से देश की सुरक्षा के साथ खतरा मोल लेना भी है, लेकिन जिस तरह मिग 21 विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं, उन्हे उड़ता ताबूत और विडो मेकर कहा जाने लगा है. पिछले 16 महीने में 7 बार मिग 21 क्रैश हो चुका है. 1963 में वायु सेवा में शामिल होने के बाद करीब 200 ऑफिसर्स और 56 आम लोगों की जान जा चुकी है. इ न हादसों के पीछे मिग 21 के खराब design को जिम्मेदार माना जाता है. मिग-21 वही फाइटर जैट है, जिससे भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमान एफ-16 को मार गिराया था। हालांकि उनका विमान भी क्रेश कर गया था। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ हुए 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी। मिग-21 बाइसन फाइटर जैट का इस्तेमाल अब केवल भारतीय वायुसेना ही करती है। ये विमान एयरक्राफ्ट शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है। इस लड़ाकू विमान की स्पीड 2229 किलोमीटर प्रति घंटा की है. भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं, जिनमें तीन मिग-21 बाइसन संस्करण के हैं। मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था और लड़ाकू विमान के 800 संस्करण सेवा में रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में एक के बाद एक हुए मिग हादसों के बाद ये विमान सवालों के घेरे में हैं। सरकार चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम कर रही है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1 ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है। लेकिन इसमें हो रही देरी देश के लिए घातक है.



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