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विचार | पिछली बार से कैसे अलग है इस बार का किसान आंदोलन, क्या मोदी जिम्मेदार हैं ?
पिछली बार से कैसे अलग है इस बार का किसान आंदोलन, क्या मोदी जिम्मेदार हैं ?
पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। किसानों के दिल्ली कूच का सबसे ज़्यादा असर पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पड़ रहा है। ये है अंबाला का शंभू बॉर्डर. पुलिस ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े. किसानों को डराने और उनको अलग थलग करने की लगातार कोशिश चल रही है.. यहां पुलिस की अभेद सुरक्षा व्यवस्था.. सैकड़ों की तादाद में आधुनिक हथियारों के साथ पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान मुस्तैद.. रास्ते में पुलिस ने कील बिछा दी हैं। हाईवे पर दीवारें बनाई हैं, इसके साथ ही बड़े-बड़े बोल्डर भी रख दिए हैं। ताकी किसान देश की राजधानी दिल्ली की ओर कूच न कर पाएं।
उधर पंजाब की ओर से लगातार किसानों का पहुंचना जारी.. शंभू बॉर्डर, हरियाणा और पंजाब के बीच स्थित है। हरियाणा में बीजेपी की सरकार है, जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है.
पंजाब की भगवंत मान की सरकार ने किसानों को पूरी छूट दे दी है। पंजाब में उनको हर तरह की मदद दी जा रही है, ताकि दिल्ली में वे मोदी की मुसीबत बन जाएं। जबकि हरियाणा की पुलिस सख्ती बरत रही है। लेकिन किसानों को जोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
किसानों के एक धड़े ने दिल्ली चलो का आह्वान किया । इसके बाद 16 फरवरी को भारत बन्द का ऐलान कर दिया । किसान नेताओं का दावा है कि इस बार किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले 250 से अधिक किसान संघ और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक), जो अन्य 150 यूनियनों का एक मंच है, ने आह्वान किया है. यह विरोध प्रदर्शन पंजाब से कॉर्डिनेट किया जा रहा है. दोनों किसान मोर्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो साल पहले किसानों से किए गए वादों की याद दिलाने के लिए दिसंबर 2023 के अंत में ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया था.
इस बार आंदोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के मुखिया जगजीत सिंह डल्लेवाल कर रहे हैं। उनका साथ दे रही है किसान मजदूर संघर्ष कमेटी। इस कमेटी के अगुवा के तौर पर एक किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का नाम सबसे आगे चल रहा है। इस कमेटी का कार्यक्षेत्र अमृतसर है हालांकि बाकी कई जिलों के किसान इनके साथ जुड़े हैं। ये संगठन 13 साल पुराना है और पिछले किसान आंदोलन में भी सक्रिय रहा था।
आंदोलन में ज़्यादातर हरियाणा और पंजाब के किसान संगठन शामिल हैं।
पिछली बार हुए आंदोलन और इस बार के आंदोलन में एक बड़ा अंतर ये है कि इस बार कमान नए चेहरों ने संभाल रखी है। ये वही किसान नेता हैं जो पहले हुए आंदोलन में पिछली कतार में रहते थे। पिछले आंदोलन की अगुवाई कर रहे बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी जैसे नेताओं ने इस बार आंदोलन से दूरी बना रखी है। हरियाणा के किसान नेता अभिमन्यु कोहर व अमरजीत सिंह मोरही का भी आंदोलन को समर्थन हासिल है। आंदोलनकारियों ने 16 फरवरी को भारत बन्द का ऐलान भी किया है। किसान नेताओं का दावा है कि उनके इस संघर्ष में देशभर के किसान संगठन शामिल हो रहे हैं। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) में शामिल बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, उनकी ओर से 16 फरवरी का भारत बंद संगठन को नई दिशा देगा।
इस बार का किसान आंदोलन पिछली बार के आंदोलन से काफी अलग है. साल 2020-21 के आंदोलन की तुलना में इस बार किसानों की मांगें और नेतृत्व दोनों अलग हैं. पिछली बार का किसान आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ था, जिसके दौरान किसान केंद्र सरकार को अपने कृषि सुधार एजेंडे को वापस लेने के लिए मजबूर करने के अपने मुख्य लक्ष्य में सफल रहे थे. दरअसल किसानों ने 13 फरवरी को किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था। सरकार ने किसानों को समझाने के लिए सोमवार को चंडीगढ़ में तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक करवाई, लेकिन देर रात तक चली बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच की घोषणा कर दी। किसानों की मांग है फसलों के लिए MSP की गारंटी वाला कानून बनाया जाए। इसके अलावा भी कई और मांगों पर सहमति नहीं बन पा रही है। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे पंजाब के अलग अलग जिलों से निकले किसान अंबाला के शंभू बॉर्डर पर पहुंचने लगे हैं। हजारों किसानों का जमावड़ा अब तक लग चुका है। अभी भी लगातार किसानों के ट्रैक्टर पहुंच रहे हैं। हालांकि वहां पुलिस ने भारी भरकम बैरिकेडिंग की हुई है। साथ ही भारी सुरक्षाबल भी तैनात किया गया है।
किसान आंदोलन का असर दिल्ली बॉर्डर पर भी पड़ रहा है। किसानों के दिल्ली पहुंचने से पहले ही शंभू, टिकरी और सिंघू बॉर्डर के अलावा गाजीपुर सीमा पर जाम लगना शुरू हो गया है। दिल्ली-मेरठ हाईवे पर
घंटों लंबा जाम लगा रहा। नेशनल हाइवे नौ पर भी बैरिकेडिंग की वजह से भीषण जाम रहा। इस वजह से वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में किसानों के विरोध मार्च के मद्देनजर ITO चौराहे पर दिल्ली पुलिस के जवान और बैरिकेड तैनात किए गए, CRPF की धारा 144 लागू की गई है।
दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बॉर्डर, दिल्ली- गाजियाबाद के गाजीपुर बॉर्डर, दिल्ली के कालंदीकुंज बॉर्डर पर भी भीषण जाम लगा रहा । उधर, किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च के बीच दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर यातायात प्रभावित हो रहा है। यहां लंबा जाम लगा है। दिल्ली पुलिस ने सिरहोल बार्डर पर किसानों के कूच को देखते हुए सुबह नाका लगाया है, इसलिए जाम लगा है।
किसान आंदोलन के चलते केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-2 को शाम तक बंद कर दिया गया है। आंदोलन के आह्वान के मद्देनजर दिल्ली में कई स्थानों पर सुरक्षा तैनात की गई है। पूरी दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है। राजीव चौक, मंडी हाउस, केंद्रीय सचिवालय, पटेल चौक, उद्योग भवन स्टेशन बंद, जनपथ और बाराखंभा रोड मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया है। इन मेट्रो स्टेशनों के गेटों को सुरक्षा करणों के बंद किया गया है। बाकी सभी मेट्रो स्टेशन सामान्य तौर पर खुले हुए हैं।