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पर्यटन | महंगे पेट्रोल कारों की जरूरत ख़त्म
महंगे पेट्रोल कारों की जरूरत ख़त्म
काफी समय से हम सुनते आ रहे थे कि एक दिन आएगा जब कारें पानी से चला करेंगी।समझिए वो दिन आ गया है। पानी से चलने वाली कार को हाइड्रोजन कार कहा जा रहा है, क्योंकि इनका फ्यूल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से मिलकर बनता है। इस वीडियो में हम भविष्य की कार कही जाने वाली हाइड्रोजन कार के बारे में पूरी जानकारी देंगे। हाइड्रोजन कार की कीमत क्या है, माइलेज कितना देती है, मेंटनेंस कितना होता है और कहीं इलेक्ट्रिक कार की तरह लंबे समय तक रिचार्ज तो नहीं करना पड़ता। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी संसद में जब इस कार को लेकर पहुंचे तो सब हैरान रह गए। गडकरी हाइड्रोजन से चलने वाली टोयोटा की इस कार मिराई को सबको दिखाना चाहते थे। आप भी इस शानदार कार की झलकियां लेते हुए समझिए कैसे हाइड्रोजन और ऑक्सीजन यानी पानी से चलने वाली ये कार भविष्य में पेट्रोल कारों की जगह ले लेगी। है। गडकरी की ये कार जापान की टोयोटा कंपनी की है और हाइड्रोजन ईंधन फरीदाबाद स्थित इंडियन ऑयल पंप से भरा जा रहा है ।
गडकरी ने कहा, "आत्मनिर्भर' बनने के लिए, हमने ग्रीन हाइड्रोजन को पेश किया है जो पानी से पैदा होता है। यह कार पायलट प्रोजेक्ट है। अब देश में ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण शुरू होगा। आयात पर अंकुश लगेगा और रोजगार के नए मौके पैदा होंगे। केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा, सरकार ने 3000 करोड़ रुपये का मिशन शुरू किया है और (जल्द ही) भारत हाइड्रोजन का निर्यात करने वाला देश बन जाएंगे। जहां भी कोयले का इस्तेमाल होगा वहां ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाएगा।"
सबसे बड़ा सवाल हाइड्रोजन कार की कीमत कितनी है। इस पर गडकरी ने बताया कि
अभी हाइड्रोजन कार की कीमत थोड़ी ज़्यादा है, लेकिन अगले दो साल में
पेट्रोल कारों के बराबर ही हो जाएगी। इसका कारण ग्रीन ईंधन से इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल की लागत घट जाएगी। गडकरी जिस कार में आए उस टोयाटा कंपनी का दावा है कि इस कार में सिर्फ पांच मिनट में ईंधन भरा जा सकता है। यह कार एक बार फुल टैंक ईंधन भरने पर 646 किमी तक की दूरी तय कर सकती है। इसका खर्च प्रति किलोमीटर सिर्फ 2 रुपए आता है। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी ने यह अध्ययन करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया है।
हाइड्रोजन कार कैसे चलती है ?
• ग्रीन हाइड्रोजन पेट्रोल-डीज़ल जैसे पारंपरिक ईंधन का एक विकल्प है, जिसे किसी भी वाहन में इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल मध्यम से लंबी दूरी की यात्रा के लिए काफी भरोसेमंद मानी जा रही है।
• ग्रीन हाइड्रोजन ज़ीरो पोल्यूशन फ्यूल है, यानी इससे कार्बन नहीं निकलेगा और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा।
• गाड़ी चलने के दौरान पानी के अलावा कुछ नहीं निकलेगा यानी काला धुआं नहीं होगा
• एक बड़ी कार में हाइड्रोजन भरने में 3 से 5 मिनट का ही टाइम लगेगा जैसे पेट्रोल भरने में लगता है। ई-कार को चार्ज करने में काफी समय लगता है।
• हाइड्रोजन से चलने वाली कार में, गैस को एक हाई-प्रेशर टैंक में स्टोर किया जाता है। फिर इसे बिजली पैदा करने के लिए फ्यूल सेल में भेजा जाता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया से बिजली पैदा होती है।
नितिन गडकरी ने संसद में कहा था कि अब दिन वो दूर नहीं है कि जब हम लोग ग्रीन हाइड्रोजन से गाड़ी को चलाएंगे। ग्रीन हाइड्रोजन पानी से बनता है। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही हम इस विकल्प की ओर आगे बढ़ेंगे। गडकरी ने कहा सीवेज वॉटर के इस्तेमाल से इसे बनाया जा सकता है। मैं अपने संसदीय क्षेत्र नागपुर के सीवेज पानी को महाराष्ट्र सरकार को बेचता हूं, इससे हर साल 325 करोड़ रुपए हमे रॉयल्टी मिलती है। इस पानी के इस्तेमाल से हम ग्रीन हाइड्रोजन बना सकते हैं। यह हाइड्रोजन सबसे सस्ता ईंधन होगा और प्रदूषण भी कम होगा। पीएम की इच्छा है कि हम पेट्रोलियम आयात करने वाले नहीं बल्कि निर्यात करने वाले बनें।
टोयोटा कंपनी की इस कार का नाम 'मिराई' (Toyota Mirai)। ये एक जापानी शब्द है जिसका मतलब है भविष्य। तभी तो हाइड्रोजन ईंधन को अब भविष्य का ईंधन माना जा रहा है। भारत बड़ी मात्रा में पेट्रोल-डीजल आयात करता है, ये ईंधन महंगे तो हैं ही, साथ ही इनसे प्रदूषण भी बहुत ज़्यादा होता है, जबकि ग्रीन हाइड्रोजन काफी सस्ती गैस है, इसके जरिए प्रति किलोमीटर सिर्फ 2 रुपये का खर्च आएगा। सबसे खास बात ये है कि हाइड्रोजन को बनाने के लिए सूरज की रोशनी और पर्याप्त पानी और ज़मीन चाहिए, यूरोपियन देशों में भले कम हो, लेकिन भारत के पास पर्याप्त मात्रा में है, यानी कह सकते है कि हाइड्रोजन कारों का भविष्य भारत में काफी अच्छा है और इसके ज़रिए हम यूरोपियन देशों को निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी कमा सकते हैं। तो कह सकते हैं कि ये जबरदस्त मुनाफे का सौदा होने वाला है।