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लाइफस्टाइल | पढ़ाई में ढीले, लेकिन मोबाइल चलाने में एक्सपर्ट हो गए हैं बच्चे
पढ़ाई में ढीले, लेकिन मोबाइल चलाने में एक्सपर्ट हो गए हैं बच्चे
बुनियादी शिक्षा, गणित और अंग्रेजी में भले ही ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र कुछ कमजोर हैं, लेकिन मोबाइल के इस्तेमाल में उनका मुकाबला नहीं है। एनुअल एजुकेशन स्टेटस रिपोर्ट-2023(असर) में उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों के छात्रों के सर्वेक्षण में यह पहलू भी प्रमुखता से सामने आया है।
जहां पढ़ाई के आम विषयों में छात्रों की उपलब्धि 40 से 60 फीसदी तक रही है। वहीं स्मार्ट फोन की उपलब्धता, उपयोग को लेकर विभिन्न सर्वे में अधिकांश आंकड़े 95 प्रतिशत से भी अधिक हैं। खासकर उत्तराखंड के छात्रों में तो यह प्रतिशत कुछ ज्यादा ही है।
शिक्षा से जुड़ी संस्था असर ने देश के 26 राज्यों के 28 प्रमुख जिलों के ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं और किशारों को इस सर्वे में शामिल किया था। उत्तराखंड में असर ने टिहरी जिले के 60 गांवों के 1100 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को सर्वे में लिया है।
अमूमन ट्रेड रहता है कि लोग बेटों को अच्छी शिक्षा की उम्मीद में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैँ। और बेटियों को सरकारी स्कूल-कालेज भेजा जाता है। लेकिन असर 2023 में उत्तराखंड और यूपी के सर्वे में सुकून भरी तस्वीर सामने आई है।
उत्तराखंड में टिहरी सर्वे के अनुसार 14 से 16 और 17 से 18 आयु वर्ग में प्राइवेट स्कूल कालेजों में बेटियां का प्रतिशत लड़कों के मुकाबले दो से चार प्रतिशत तक अधिक है। यूपी के वाराणसी शहर के सर्वेक्षण में 17 से 18 वर्ष आयु वर्ग में निजी शिक्षण संस्थानों में बेटियों का प्रतिशत पांच प्रतिशत अधिक है।
गणित में भाग करने की काबिलियत परखने के लिए किए गए सर्वे में 14 से 16 और 17 से 18 आयु वर्ग के 31 से 36 प्रतिशत छात्र-छात्राएं ही पास हो पाए। वहीं अंग्रेजी के पाठ पढ़ने की क्षमता में यह प्रतिशत 60 से 62 प्रतिशत तक ही रहा।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले और हरियाणा के सिरसा जिले से यह काफी कम है। दूसरी तरफ, जबकि मोबाइल का इस्तेमाल करने से जुड़े विभिन्न सर्वे में पास होने का प्रतिशत 98 प्रतिशत तक रहा है। इसी प्रकार सोशल मीडिया पर सक्रिय छात्रों का प्रतिशत 88 से 93 फीसदी तक मिला।