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साहित्य | धनतेरस पर ये काम करना न भूलें, पूरे परिवार को होगा फायदा
धनतेरस पर ये काम करना न भूलें, पूरे परिवार को होगा फायदा
इस साल दिवाली 12 नवंबर को है. हिंदू पंचाग के अनुसार, पांच दिनों तक चलने वाला दीवाली का पर्व धनतेरस के साथ आरंभ हो जाता है. धनतेरस के दिन शाम को मां लक्ष्मी, कुबेर भगवान की पूजा करने के साथ यमराज की पूजा करने का विधान है. क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन यम का दीपक जलाने का क्या महत्व है और यह दीपक क्यों जलाया जाता है.
इस दिन शाम के समय दक्षिण दिशा में एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक कहते हैं. इस पूजा में बस एक दीपक चलाया जाता है. घर की महिला दीपक को प्रवेश द्वार के बाहर जलाकर यमराज से कुशलता की प्रार्थना करती है. यमराज के लिए चार मुंह वाला दीपक साल में एक बार जलाया जाता है. मान्यता है कि साल में एक बार यमराज के नाम का दीपक जलाने से घर में उनकी कृपा होती है.
मान्यता है कि धनतेरस के दिन यमराज की पूजा भी की जाती है. इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है. इस दिन यम देवता के लिए दीपदान करने का खास महत्व होता है. धनतेरस पर शुभता और सौभाग्य को पाने के लिए दीपदान करने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है. उन्होंने आगे कहा कि चौमुखी दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए. इस दिशा के स्वामी यम हैं. दीपदान के बाद घर में सुख-शांति और आरोग्य का आशीर्वाद मांगना चाहिए.
गौरतलब है कि स्कंदपुराण में धनतेरस को लेकर एक श्लोक का वर्णन मिलता है. इसके अनुसार ‘कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे. यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति.’ इसका अर्थ है, कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायं काल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीपक रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है. वहीं पद्मपुराण के अनुसार, ‘कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके. यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति.’ इसका अर्थ है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीपक रखना चाहिए, इससे मृत्यु का नाश होता है.