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इस साल कब होगा दीवाली पूजन, शुभ मुहूर्त और पूरी विधि जान लीजिए


इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जा रही है. पूरे देश में ये त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन दीपक जलाए जाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा उपासना होती है. हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह के दिन ही भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे. इसी खुशी में नगर वासियों ने उनका स्वागत करते हुए दीपक जलाए थे और पूरी नगरी में जश्न का माहौल था. आईए जानते हैं इस साल कब होगी मां लक्ष्मी की पूजा, कैसे होगी, क्या मंत्र पढ़ें जाएंगे और मां लक्ष्मी की आरती. 

शुभ मुहूर्त

इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 दोनों दिन है, लेकिन 25 को तिथि समाप्त हो रही है, इसलिए 24 को ही दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. 

कार्तिक अमावस्या तिथि शुरू- 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2022, शाम 04.18
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त - रात 07.02 - रात 08.23
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त - रात 11.46 - प्रात: 12.37
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - रात 10:36 - प्रात: 12

दीपावली पर तिथि का संयोग

इस साल दिवाली पर खास संयोग बन रहा है. रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. 24 को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी और अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. अमावस्या तिथि 25 को शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी

दिवाली 2022 पूजन सामग्री

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा, आरती की जाती है. इस दिन की पूजा के लिए पूजन सामग्री चाहिए होती है. गणेश- लक्ष्मी जी की मूर्ति, साथ में मां सरस्वती की तस्वीर. चांदी का सिक्का क्योंकि इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक कहा जाता है. पूजा के लिए फूल, खासकर मां लक्ष्मी को कमल का फूल पसंद है, इसलिए वो सबसे जरूरी है. 

इसके अलावा इन चीजों की जरूरत होती है. चंदन, सिंदूर, कुमकुम, केसर, पांच यज्ञोपवीत, चावल, अबीर, गुलाल, हल्दी, सोलह श्रृंगार का सामान (चूड़ी, मेहंदी, पायल, बिछिया, काजल, बिंदी, कंघा). 

5 सुपारी
5 पान के पत्ते
छोटी इलायची
लौंग
मौली या कलावा
फूलों की माला
तुलसी दल
कमलगट्टे
साबुत धनिया
कुशा और दूर्वा
आधा मीटर सफेद कपड़ा
आधा मीटर लाल कपड़ा
दीपक
बड़े दीपक के लिए तेल
नारियल
पंच मेवा (मखाना, किशमिश, छुहारा, बादाम, काजू आदि)
गंगाजल
पंचामृत (शहद, दूध, शक्कर, दही, गंगाजल, दूध)
शुद्ध घी
मौसम के हिसाब से फल (गन्ना, सिंघाड़े आदि)
नैवेद्य
मिठाई
इत्र की शीशी
लकड़ी की चौकी
मूली आदि

कैसे करें पूजा

पहले मां लक्ष्मी को स्थापित किया जाता है, फिर नए कपड़ों और गहनों से गणेश लक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है, उसके बाद फूल, सिंदूर, पान-सुपारी, इन चीजों से सजावट होती है और पूजा होती है. फिर फल चढ़ाएं और मंत्र पाठ करें, इसके बाद मां लक्ष्मी को मिठाई का भोग लगाएं और उनके सामने रखे सिक्कों की भी पूजा करें, इसके साथ ही दुर्बा और गंगाजल से छीटे दें. नारियल और कलश की स्थापना करने के बाद दीपक में ज्योत लगाए और घरों के कोने कोने में दीपक रख दें, फिर आरती शुरू करें. 

मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता, नमस्त्यै नमस्त्यै नमस्त्यै नमों नम:।

इसका मतलब है हे मां शक्ति आप सदैव हमारे पास लक्ष्मी (धन) के रूप में निवास करें, हम अपने हृदय से आपको बारंबार प्रणाम करते हैं

आरती 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

इसके बाद गणेश जी की आरती भी पढ़ें, क्योंकि गणेश और लक्ष्मी की स्थापना एक साथ होती है और दोनों की पूजा भी साथ करने से ही मां का आशीर्वाद मिलता है।



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