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उत्तराखंड | बौखनाग देवता नाराज हैं... इसलिए सुरंग में फंसे मजदूर
बौखनाग देवता नाराज हैं... इसलिए सुरंग में फंसे मजदूर
उत्तरकाशी के सिलकियारा-पोलगांव टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम जारी है. लेकिन हादसे के बाद आसपास के गांवों के लोग इसे 'ईष्ट देवता का गुस्सा' बता रहे हैं। उनका कहना है कि टनल के पास मंदिर को तोड़े जाने की वजह से बौखनाग देवता नाराज हैं, जिन्हें इस इलाके का रक्षक माना जाता है। गांव वालों ने मीडिया को बताया है कि प्रॉजेक्ट शुरू होने से पहले टनल के मुंह के पास एक छोटा मंदिर बनाया गया था। स्थानीय मान्यताओं को सम्मान देते हुए अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही अंदर दाखिल होते थे। कुछ दिन पहले नए प्रबंधन ने मंदिर को वहां से हटा दिया, जिसकी वजह से यह घटना हुई है।'
हमने कंस्ट्रक्शन कंपनी से कहा था कि मंदिर को ना तोड़ा जाए या ऐसा करने से पहले आसपास दूसरा मंदिर बना दिया जाए। लेकिन उन्होंने हमारी चेतावनी को दरकिनार कर दिया यह मानते हुए कि यह हमारा अंधविश्वास है। पहले भी टनल में एक हिस्सा गिरा था लेकिन तब एक भी मजदूर नहीं फंसा था। किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ था।'
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक स्थानीय देवता को शांत नहीं किया जाता है, कोशिशें कामयाब नहीं होंगी।
बौखनाग देवता के पुजारी गणेश प्रसाद बिजालवान ने कहा, 'उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। किसी भी पुल, सड़क या सुरंग को बनाने से पहले स्थानीय देवता के लिए छोटा मंदिर बनाने की परंपरा है। इनका आशीर्वाद लेकर ही काम पूरा किया जाता है।' उनका भी मानना है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मंदिर को तोड़कर गलती की और इसी वजह से हादसा हुआ।
नौ नागों में नासुकि नाम के नागदेवता, जो भगवान शंकर के गले में विराजमान रहते हैं, बाबा बौखनाग को उन्हीं शिव ( बासुकीनाग)का अवतार माना जाता है। वेदों एवं पुराणों के अनुसार महादेव को सात्विक रूप में तीनों लोकों का पालनहार एवं तमोगुण रूप में संहारकर्ता भी माना जाता है। जिस प्रकार सात्विक गुण के रूप में बजरंगबली हनुमान को शिव अंश अवतार माना जाता है उसी प्रकार बासुकि नाग को भी सात्विक गुण के रूप में शिव अंश अवतार के रूप में माना गया है। यद्यपि भगवान शिव की पूजा-अर्चना मूर्ति रूप में नहीं अपितु लिंग रूप में की जाती है, परन्तु उनके अंशों की पूजा मूर्ति रूप में प्रचलित है।
जय बाबा बौख नाग ( शिव अवतार )