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22 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन, इस बार सावन में अद्भुत संयोग


हरिद्वार- इस बार श्रावण मास कई विशेषताओं के साथ प्रारंभ होगा। इस बाद सावन का सोमवार को ही प्रारंभ और सोमवार को ही समापन होगा। वहींइस श्रावण मास में पांच सोमवार का अद्भुत संयोग पड़ रहा है। श्रावण मास 22 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है।

हरिद्वार के धार्मिक विद्वानों ने बताया कि श्रावण मास भगवान शिव को अधिक प्रिय होता है। इस बार श्रावण मास सोमवार से शुरू होकर इसी दिन संपन्न होगा। क्योंकि सोम का अर्थ चंद्रमा से होता है और चंद्रमा भगवान शिव को अधिक प्रिय हैजिन्हें वह मस्तक पर धारण करते हैं। इसलिए भगवान शिव को सोमवार का दिन अधिक प्रिय होता है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजाअभिषेक आदि करता है उसे सकल पदार्थ की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि श्रावण सोमवार का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर मिलता है। वहींसुहागिनों को पति की दीर्घायु प्राप्ति होती है। कहा कि वैसे तो पूरा सावन महीना शिव जी की आराधना के लिए होता है, लेकिन इस मास में पड़ने वाले सोमवार व मंगलवार का अपना विशेष महत्व है। श्रावण मास के मंगलवार को शक्ति स्वरूपा मंगला गौरी की आराधना की जाती है।

आचार्य प्रवीण शास्त्री ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जिस समय भगवान शिव ने विषपान किया था और उससे उनका कंठ नीला पड़ गया था तो विष की ज्वाला को शांत करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक किया था। जिससे ज्वाला शांत हुई थी। वो श्रावण का पवित्र मास था। इसलिए भगवान शिव को श्रावण मास अधिक प्रिय है।

इसके अलावा माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए श्रावण मास में घोर तपस्या की थी। इसलिए भी भगवान शिव को श्रावण मास अधिक प्रिय है। पुराणों के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव पृथ्वी लोक पर दक्ष प्रजापति क्षेत्र में अपनी ससुराल में रहते हैं। इसीलिए ऐसा माना जाता है कि इस समय गंगा का जल शिवमय हो जाता है और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।

वैसे तो भगवान शिव की पूजा बारहों महीने, 365 दिन फलदायी हैलेकिन सावन के महीने में किए जाने वाले शिव पूजन को समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस माह में सुपूजित होने पर शिव कष्टों का निवारण करते हैं। मृत्यु के समान कष्ट को भी दूर करने में समर्थ होते हैं। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक से समस्त अभीष्ट फल प्राप्त होते हैं। सनातन धर्म में श्रावण मास को भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष माना गया है।

शास्त्रीय मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति तो होती ही हैमृतयोग के समान विपत्ति भी टल जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को प्रिय सावन के महीने में ही पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था।

 

 



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