मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023 | 01:56 IST
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पर्यटन का नया अंदाज ' एस्ट्रो विलेज ', बेनीताल में सज गया है उत्तर भारत का पहला एस्ट्रो पार्क


दुनियाभर की पर्यटन के क्षेत्र में दिलचस्पी बढ़ने के साथ ही पर्यटन के ट्रेंड भी बदल रहे हैं। इनमें से ही एक नया ट्रेंड है एस्ट्रो टूरिज्म, जिसमें पर्यटक शहर के शोर से दूर पहाड़ों की गोद में लेटे हुए आसमान में चमकते सितारे निहार सकते हैं।
आइए आपको लेकर चलते हैं उत्तराखंड में स्थित उत्तर भारत के पहले ‘एस्ट्रो विलेज’ बेनीताल की सैर पर, जहां पर्यटन विभाग और स्टारस्केप्स की ओर से 19 से 21 मई तक एस्ट्रो पार्टी का आयोजन होने जा रहा है। इसमें खगोल विज्ञानी आधुनिक मशीनों के जरिये पर्यटकों को बेहद करीब से ग्रहों और अंतरिक्ष का दीदार कराएंगे।
इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से बेनीताल में अत्याधुनिक मशीनें भी लगाई जा रही हैं। एस्ट्रो पार्टी खत्म होते ही महीनेभर चलने वाला एस्ट्रो कैंप शुरू हो जाएगा। एस्ट्रो पार्टी के लिए कोई प्रवेश शुल्क निर्धारित नहीं है।
चमोली जिले में समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेनीताल इन दिनों पर्यटकों के स्वागत की तैयारी में जुटा है। यहां तीन दिवसीय ‘एस्ट्रो पार्टी’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें स्टार गेजिंग, एस्ट्रो फोटोग्राफी, सौर अवलोकन, एस्ट्रोनामी तंबोला, राकेटरी मेकिंग, नक्षत्र दर्शन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके लिए दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद के खगोलविद अत्याधुनिक मशीनों के साथ आ रहे हैं, जो अपने अनुभव पर्यटकों के साथ साझा करेंगे।
साथ ही यह आयोजन खगोल विज्ञान के प्रति रुझान रखने वाले पर्यटकों को रात में आकाश की सुंदरता निहारने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा। एस्ट्रो पार्टी का आयोजन कर रहे स्टारस्केप्स के फाउंडर रामाशीष रे बताते हैं, पिछले साल एस्ट्रो पार्टी की सफलता के बाद इस बार हमने कई नए एस्ट्रो टूरिज्म अनुभवों को शामिल किया है। रामाशीष कहते हैं, न्यूनतम मानवीय गतिविधियां और प्रकाश का कम प्रदूषण बेनीताल को ‘डार्क स्काई पार्क’ के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। यह पर्यटकों को रात के आकाश के जादू का शानदार अनुभव कराएगी।
एस्ट्रो टूरिज्म पर्यटन का नया ट्रेंड है, जो खगोल विज्ञान आधारित है।
इसके जरिये पर्यटकों को खगोल पिंडो और तारों का दीदार कराया जाता है।
इसके लिए दूरस्थ क्षेत्र में ऐसा स्थान तलाशा जाता है, जहां बेहद कम प्रकाश प्रदूषण हो ताकि रात में आसमान साफ हो।
साथ ही इसका मकसद युवाओं में खगोल विज्ञान के प्रति रुचि जगाना भी है।
कर्णप्रयाग-रानीखेत राजमार्ग से लगे सिमली-बेनीताल मोटर मार्ग पर 27 किमी की दूरी तय कर बेनीताल पहुंच सकते हैं। हां दूर तक फैले मखमली बुग्याल (घास का मैदान) प्रकृति की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।
बेनीताल में एक ताल भी स्थित है, जो सड़क से महज 100 मीटर की पैदल दूरी पर स्थित है। लांकि गर्मी के मौसम में यह ताल सूख जाता है।
बेनीताल में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए सड़क से लगे गांवों बणगांव, ऐरवाड़ी, रतूड़ा, सिमतोली, चूलाकोट, मठकोट में होम स्टे खुल गए हैं। यहां आप बेहतरीन स्थानीय व्यंजनों का स्वाद चखने के साथ पहाड़ के रहन-सहन और संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं। इसके अलावा कर्णप्रयाग में भी होम स्टे और होटलों की सुविधा उपलब्ध है। अगर आप चाहें तो अपना टेंट लगाकर बेनीताल में भी रात गुजार सकते हैं।
चमोली के जिला पर्यटन अधिकारी एसएस राणा ने बताया कि जिला प्रशासन चमोली की ओर से पर्यटन विभाग के तत्वावधान में खगोलीय घटनाओं के दिलकश और रहस्यमयी नजारों को बेहद करीब से दिखाने के लिए एस्ट्रो विलेज बेनीताल में यह दूसरा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। पिछले वर्ष भी एस्ट्रो पार्टी आयोजित की गई थी। कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न राज्यों से खगोलीय प्रेमी हिस्सा ले रहे हैं। इसके बाद युवाओं के लिए उपकरणों के माध्यम से भी खगोलीय घटनाओं की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा। यह उत्तर भारत का पहला एस्ट्रोविलेज है।

 



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