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बाबरी मस्जिद से राम मंदिर और कार सेवकों की शहादत के 30 साल


6 दिसंबर के ही दिन इस देश में एक नींव पड़ी थी राम मंदिर के निर्माण की, देश में आस्था की पार्टी भगवान श्रीराम के मंदिर की, जिनकी जन्मस्थली को अक्रांताओं द्वारा कलंकित किया गया था, इसी दिन तीस साल पहले भगवान राम को, उनके घर में जगह दिलाने की कोशिश की गई थी, रामलाला को भारत वासियों द्वारा स्थान देने की कोशिश की गई थी। ठीक तीस साल पहले वो दिन जिसे शायद ही ये देश कभी नहीं भूल सकता है। कितना कुछ बदल गया भाजपा के नेतृत्व में, हिंदुओं को उसकी आस्था का हिसाब मिला और साथ ही मिला वो प्रेम और सम्मान जिसके वो हकदार थे।

वो तारीख जो इतिहास बन गई

दिसम्बर, 1992 यानी वो तारीख जो इतिहास बन गई. घटनाक्रम की शुरुआत एक दिन पहले हुई. 5 दिसम्बर को विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता, भाजपा के कुछ नेता और इससे जुड़े संगठनों ने अयोध्या में एक रैली का आयोजन किया। बाबरी मस्जिद के जिस विवादित हिस्से में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ भजन-कीर्तन की इजाजत दी थी, वहां करीब डेढ़ लाख कारसेवक पहुंच गए. 6 दिसम्बर को भीड़ इतनी उग्र हो गई कि सिर्फ 5 घंटे में ही विवादित ढांचा गिरा दिया गया. उसी दिन शाम 5 बजकर 5 मिनट तक बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई

 

गुलामी का प्रतीक मिटा

आज कारसेवक बहुत संतुष्ट महसूस करते हैं कि गुलामी का प्रतीक मिटा दिया गया है और उसकी जगह एक भव्य मंदिर बन रहा है। राम मंदिर बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा शुरू किए गए आंदोलन का ही परिणाम है की आज भी भव्य राम मंदिर बन रहा है। सबसे पहले तो ये कि बाबरी मस्जिद नहीं थी, यह एक विवादित ढांचा था और विवाद खत्म हो गया है।""आज संतुष्टि की एक पूर्ण भावना है। अगर मुद्दा नहीं उठाना होता तो कोर्ट संपत्ति के मूल मालिकों को सौंपने का फैसला ही नहीं लेती. भाजपा के प्रयासों के परिणाम मिला

 

कार सेवकों की शहादत

तैयारी एक सप्ताह पहले की गई थी और टीमें अपने राज्यों से काफी पहले अयोध्या पहुंच गई थीं। "3 दिसंबर को, सभी ने श्री राम जन्मभूमि जाकर रामलला का आशीर्वाद लिया। विवादित ढांचे के चारों ओर 1990 के बाद लोहे की बाड़ लगा दी गई थी। विवादित ढांचे के सामने स्थित 150 वर्ग फुट जगह में कार सेवा करने का निर्णय लिया गया।दिसंबर, 1992 को, लोग मधुमक्खियों की तरह झुंड में आ गए और यहां तक ​​कि साइन बोर्ड भी लगा दिए गए कि अयोध्या में कोई जगह नहीं है। विवादित ढांचे के आसपास के सभी भवनों पर लोग खड़े हो गए।"राम भक्तों ने अयोध्या शहर पर अधिकार कर लिया।

 

राम भक्तों का अटूट प्रेम

हजारों राम भक्तों ने कुछ ही घंटों में अपने नंगे हाथों से मलबा हटा दिया। अस्थाई मंदिर बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी  सभी को श्रीराम के दर्शन का मौका दिया गया।6 दिसबंर 1992 का दिन सांकेतिक कारसेवा के लिए तय किया गया था.

लेकिन उससे पहले 5 दिसंबर को गीता जयंती के दिन इस कारसेवा की रिहर्सल भी रखी गई.

 

प्रतीकात्मक पूजा और विवाद का निपटारा

 

ये कारसेवा एक प्रतीकात्मक पूजा थी, जिसमें सरयू नदी की बालू और पानी से प्रस्तावित मंदिर की जगह को धोना तय हुआ था.इस तारीख़ तक लगभग एक लाख से ज़्यादा कारसेवक अयोध्या पहुंच चुके थे जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं.सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ़ शांतिपूर्ण कारसेवा की इजाज़त दी थी, जिसमें लोग एक साथ इकट्ठा होकर भजन गा सकते थे और प्रतीकात्मक पूजा कर सकते थे.

 

राम मंदिर निर्माण

 आज अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है जिसके लिए 500 वर्षों से संघर्ष चलता रहा 70 वर्षों से कई बार आंदोलन भी हुआ और 6 दिसंबर 1992 में उस विवादित ढांचे को भी गिरा दिया गया। 6 दिसंबर की यह तिथि अयोध्या के लिए बेहद खास माना जाता है।

जिस प्रकार से भगवान के जन्म स्थान के लिए लंबा संघर्ष करने के बाद 92 में उस विवादित ढांचे को ही कारसेवकों ने हटा दिया उसके बाद भगवान श्री राम लला टेंट में विराजमान हो गए 26 साल लगातार चले मुकदमे के बाद सुप्रीम कोर्ट रामलला के पक्ष में फैसला दिया और अब भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। अयोध्यावासी भगवान के इस मंदिर निर्माण को देखकर बहुत ही खुश हैं । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी धन्यवाद देते हैं।  आज भव्य मंदिर के साथ दिव्य अयोध्या का भी निर्माण हो रहा है।

 

 

संघर्ष बलिदान और आस्था का रूप

बड़े कार्य के लिए संघर्ष करना पड़ता है और बहुत सारे लोगों का बलिदान भी दौरान हुआ है, लेकिन 500 सालों से जिस भव्य भगवान श्री राम के जन्म स्थान पर मंदिर बने इसके लिए संघर्ष हो रहा था, उसको मूर्त रूप देने का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है इसलिए जिन लोगों ने भी या संघर्ष किया है और बलिदान दिया है आज प्रभु का सुंदर मंदिर बन रहा है भव्य मंदिर बन रहा है उसके कारण अपने सारे संघर्ष को लोग भूल गए हैं और भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण को देखकर सारे लोग मग्न हैं।

यज्ञ का आयोजन

बीजेपी के दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रैली के दौरान कहा था कि कारसेवा पर सुप्रीम कोर्ट की आज्ञा का पूरी तरह पालन किया जाएगा. लेकिन उनके इस भाषण में उन्होंने ये भी कहा, "खुदाई बाद वहां जो नुकीले पत्थर निकले हैं, उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता, तो ज़मीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक बनाना पड़ेगा. यज्ञ का आयोजन होगा."

मंजिल की ओर कदम

कार सेवकों का बलिदान आज व्यर्थ नहीं गया आज उनके सपनों को रूप मिल रहा है अयोध्या में राम लला का निर्माणाधीन मंदिर उनकी शहादत की निशानी है।जिसे 2023 में सबके लिए खोल दिया जाएगा और आम जनता राम लला का दीदार कर सकेगी।



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