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घोसी उपचुनाव में अखिलेश यादव की 'दमदार जीत' के 5 बड़े कारण
घोसी उपचुनाव का घमासान जैसे जैसे आगे बढ़ने लगा वैसे ही बीजेपी को अहसास होने लगा था कि अखिलेश ने सवर्ण प्रत्याशी सुधाकर सिहं को उतारकर कहीं न कहीं बढ़त ले ली है। बीजेपी ने बहुत कोशिश की कि बीएसपी किसी मुसलिम उम्मीदवार को उतार दें, लेकिन मायावती ने अपने वोटरों के सामने बीजेपी पर हमला कर दिया। यहीं से पहले उलझन में चल रहे बीएसपी समर्थकों को संदेश चला गया कि उनको क्या करना है। सवर्ण ने भी इस बार तय कर लिया था दलबदलू कहे जाने वाले दारा सिंह को सबक सिखाना है।
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राहुल गांधी को 'डील' करने में बड़ी 'ग़लती' कर गए मोदी ?
लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को मिली ये बड़ी राहत कांग्रेस का हौसला बढ़ाने वाली है। 'मोदी सरनेम' पर टिप्पणी से जुड़े मानहानि केस में सूरत कोर्ट से राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने और उसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस की हालत एक ऐसी सेना की हो गई थी जिसका सेनापति ही चाहते हुए भी युद्ध में हिस्सा नहीं ले पा रहा। सेनापति की वापसी से सेना का जोश हाई होना लाजिमी है।
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दिल्ली की बाढ़ के लिए केजरीवाल कितने 'जिम्मेदार ' ?
'O जोन' यानी नदी का वो इलाका जहां किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है, उसमें धड़ल्ले से अवैध निर्माण होते रहे। एनजीटी ने कभी यमुना किनारे खेती तक पर प्रतिबंध लगाया हुआ था, वहां अब खेती तो छोड़िए अवैध पक्के निर्माण तक धड़ल्ले से होते रहे हैं।
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राजस्थान चुनाव में कोई सीएम चेहरा क्यों नहीं ?
कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के फेसलेस होने की रणनीति ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भ्रमित कर दिया है। जहां कांग्रेस नेता असमंजस में हैं कि उन्हें किस खेमे में जाना चाहिए, वहीं जमीनी स्तर के कार्यकर्ता और भी अधिक भ्रमित हैं।
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क्यों नहीं रुक पा रही है मणिपुर की हिंसा ? जिम्मेदार कौन ?
आप यूं समझ लीजिए कि इस समय मणिपुर का एक हिस्सा मैतेई लोगों के पास है, दूसरा कुकी लोगों के पास. हिंसा का जिस तरह का मंज़र दिखता है, वो एक दो चार दिन का नहीं, हफ़्तों तक चली हिंसा है, जिसमें घर बर्बाद हो गए हैं, लोग-बाग तबाह हो गए हैं, गांव के गांव उजड़ गए हैं.लोग मणिपुर के हालात को सीरिया जैसा बताने लगे हैं।
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पसमांदा मुसलमान 2024 में बीजेपी को वोट क्यों देंगे ?
दरअसल भाजपा हिन्दू एकता के अपने विराट प्रोजेक्ट के तहत पहले ही ओबीसी के ग़ैर-यादव जातियों और ग़ैर जाटव दलितों के बीच अपना पैठ बना चुकी है, अब पसमांदा मुसलमानों को अपनी तरफ आकर्षित करके अपने सोशल इंजीनियरिंग को अभेद बना देना चाहती है. इसकी कवायद लम्बे समय से चल रही है,
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