धामी ने रामपुर तिराहा गोलीकांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि, बोले- आंदोलनकारियों को देंगे बराबर पेंश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की कि प्रदेश सरकार राज्य आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन देने के लिए कार्य योजना तैयार कर रही है। मुख्यमंत्री मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल पर आयोजित सभा में बोल रहे थे।
उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित कर शहीद राज्य आंदोलनकारियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीदों की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि में सभा में कहा, राज्य आंदोलनकारियों के संघर्षों से ही हमें उत्तराखंड राज्य मिला। उन्होंने आश्वस्त किया कि आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकता और कर्तव्य है।
उन्होंने सभी आंदोलनकारियों को पूरा मान-सम्मान और अधिकार देने का भी संकल्प दोहराया। कहा, सभी आंदोलनकारियों की एक समान पेंशन हो, इसके लिए सरकार के स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। हमने आंदोलनकारियों को पूरा मान-सम्मान और अधिकार देने का संकल्प लिया है। सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है।
कहा, राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने के साथ ही राज्य आंदोलकारियों की मृत्यु के पश्चात उनके आश्रितों को भी पेंशन देने का निर्णय लिया है। उद्योगों में नौकरी के लिए राज्य आंदोलनकारियों को प्राथमिकता के लिए समुचित व्यवस्था की जा रही है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा, हमारे शहीद आंदोलनकारियों के बलिदान की बदौलत हमें उत्तराखंड राज्य मिला।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, शहीदों के सपनों के अनुसार आज राज्य में विकास की नींव रखी जा रही है। मुजफ्फरनगर के स्थानीय लोगों ने भी आंदोलनकारियों का साथ दिया। कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान, कपिल देव अग्रवाल यूपी सरकार के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, विधायक प्रदीप बत्रा समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे।
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केदारनाथ धाम में फिर बिगड़ा मौसम, हेलीकॉप्टर की इमर्जेंसी लैंडिंग
केदारनाथ धाम में सोमवार को मौसम खराब बना हुआ है। इस दौरान ट्रांस भारत एविएशन के एक हेलीकॉप्टर को बारिश के कारण केदारनाथ धाम में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। डीजीसीए के मुताबिक सभी यात्री सुरक्षित हैं।
जानकारी के अनुसार, हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम से पांच तीर्थयात्रियों को गुप्तकाशी लेकर जा रहा था। इस दौरान उड़ान भरते ही वहां मौसम खराब हो गया। जिस कारण हेलीकॉप्टर को धाम के पुराने पैदल मार्ग पर ही उतारा गया।
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उत्तराखण्ड में महात्मा गांधी की यादें, बाल वनिता आश्रम का किया था उद्घाटन
स्वतंत्रता आंदोलन में सबको राह दिखाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन को सारा देश बड़े उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाता है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बापू कई बार उत्तराखंड आए थे. वहीं उन्होंने देहरादून के श्री श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम का उद्घाटन किया था, जहां आज कई बच्चे रहकर शिक्षा हासिल कर रहे हैं. इस आश्रम में रहने वाली दीप्ति का कहना है कि यहां हर सब्जेक्ट्स की पढ़ाई करवाई जाती है.
उन्हें स्कूल भेजा जाता है और शाम को ट्यूशन पढ़ाया जाता है. उनका कहना है कि वह बड़े होकर भारतीय सेना में जाना चाहती है. आश्रम में रहने वाले दीपांशु ने कहा कि वह भी बड़े होकर सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं.वहीं एंजल ने बताया कि इस आश्रम में उन्हें पढ़ाया जाता है और शाम को हवन भी किया जाता है.आश्रम के प्रधान सुधीर गुलाटी ने जानकारी देते हुए कहा कि श्री श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम का उद्घाटन करने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 16 अक्टूबर 1926 को देहरादून आए थे.साल 1920 के दशक में बेसहारा-अनाथ बच्चों के लिए आर्य समाज ने उनको सहारा देने की पहल की थी.
फरवरी 1924 में आर्य समाज धमावाला के सदस्यों ने बैठक में यह फैसला लिया कि अनाथ बच्चों और युवतियों को सहारा देने के लिए एक अनाथालय की स्थापना की जाएगी. इसके बाद दो बच्चों के साथ धमावाला में एक अनाथालय खोला गया, जिसे आर्य अनाथालय कहा गया. बाद में इसे तिलक रोड पर लाया गया. सुधीर गुलाटी ने बताया कि शहर के रईस सेठ मुकुंद हरिहर लाल ने करीब 4.5 बीघा जमीन दान में दी थी. इसके बाद यहां आश्रम बनाया गया, जिसका नाम स्वामी श्रद्धानंद के नाम पर श्री श्रद्धानंद बाल वनिता आश्रम रखा गया. यह आश्रम महात्मा गांधी की स्मृति के रूप में देहरादून की शान बढ़ाता है. 16 अक्टूबर 1926 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब देहरादून आए थे, तब उन्होंने इस आश्रम का उद्घाटन किया था. जिस करनी से उन्होंने शिलान्यास किया था, वह आज भी आश्रम में मौजूद है.
सुधीर गुलाटी ने बताया कि आश्रम में 60 बच्चों के रहने की व्यवस्था है. वर्तमान में बाल वनिता आश्रम में करीब 47 बच्चे रह रहे हैं. यहां बच्चों के लालन-पालन के अलावा कई तरह के क्रियाकलापों से उनका कौशल विकास भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि सुबह बच्चे स्कूल चले जाते हैं और स्कूल से लौटने के बाद उन्हें ट्यूशन दिया जाता है. शाम को सभी बच्चे साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं. बच्चों के पढ़ने के लिए किताबें, ड्रेस आदि की व्यवस्था आश्रम द्वारा की जाती है. वहीं कुछ लोग समय-समय पर राशन और जरूरी सामान देते रहते हैं.
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बाल वनिता आश्रम में कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं. यहां पुस्तकालय है और प्रोजेक्टर के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाया जाता है. बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. महात्मा गांधी द्वारा रखी गई आधारशिला के बाद इस आश्रम में बिन मां-बाप के बच्चों को छत मिली. वहीं उन्हें बापू की अवधारणा पर अहिंसा और देश प्रेम जगाने के लिए प्रेरित भी किया जाता है. गौरतलब है कि देश की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को हमेशा याद किया जाता है. वहीं अगर बात करें देवभूमि उत्तराखंड की, तो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी देहरादून सहित उत्तराखंड के कई जिलों में आए थे. उत्तराखंड में आज भी उनकी कई निशानियां मौजूद हैं.
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छुट्टी के दिन जगह जगह भारी जाम, भारी संख्या में उमड़े सैलानियों को हुई भारी दिक्कत
लंबे वीकेंड और अच्छे मौसम के कारण दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा सहित कई राज्यों के सैलानी भारी संख्या में उत्तराखण्ड पहुंचे हुए हैं।
इसके कारण जगह जगह जाम लग रहा है। नैनीताल, हरिद्वार, ऋषिकेष, मसूरी में सारे होटल पैक हो चुके हैं। ऋषिकेश के मुनि की रेती, तपोवन क्षेत्र में वाहनों की भीड़ उमड़ी। सुबह से लेकर शाम तक वाहन रेंगरेंग कर चलते रहे। नेपाली फार्म से लेकर ब्रह्मपुरी तक स्थानीय पुलिस प्रशासन की यातायात व्यवस्था फेल हो गई।
सड़क किनारे बेतरतीब तरीके से खड़े वाहन और आड़ी तिरछी खड़ी ठेलियां भी दिनभर जाम का कारण बने रहे। भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सुबह से ही नेपालीफार्म से वाहनों को डायर्वट किया गया, लेकिन फिर भी स्थानीय लोगों को पुरानी चुंगी से लेकर तपोवन तक जाम से निजात नहीं मिली।
दो अक्तूबर तक तीन दिन का अवकाश के चलते दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान आदि प्रांतों के पर्यटक कैंपिंग और राफ्टिंग का आनंद लेने के लिए मुनि की रेती, स्वर्गाश्रम, तपोवन और लक्ष्मणझूला निजी वाहनों से पहुंचे हैं। स्थानीय होटल भी पर्यटकों से पैक हो गए हैं। हेंवल घाटी अंतर्गत गरुड़चट्टी, रत्तापानी, मोहनचट्टी, घट्टूगाड़, नैल, बिजनी, शिवपुरी, घुघतानी, क्यार्की आदि क्षेत्रों में संचालित कैंप भी पर्यटकों से फुल हो गए हैं
पर्यटकों की भीड़ के कारण सुबह से देरशाम तक नेपाली फार्म, श्यामपुर फाटक, कोयलघाटी, पुरानी चुंगी, त्रिवेणीघाट चौक, देहरादून तिराहा, चंद्रभागा पुल, भैरव मंदिर, कैलासगेट, शिवानंद गेट, तपोवन और ब्रह्मपुरी तक वाहन रेंगरेंगकर चलते रहे।
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